प्रभु श्रीराम को संप्रदायिकता के चश्मे से देखने वाले अक्सर भूल जाते हैं की उनसे बड़ा सामाजिक समसरता का उदाहरण पूरी दुनिया में नहीं है। सबरी के झूठे बेर खाए, केवट के साथ नदी पार किया। वनवासी, गिरवासी के साथ ना केवल युद्ध लड़े बल्कि उन्हें मित्र का दर्जा भी दिया...
सबरी के गुरु #मतंगऋषि के देह त्यागने के बाद एक दिन सबरी आश्रम के पास तालाब में जल लेने गई तो पास ही बैठे तपस्या कर रहे ऋषि ने अछूत कह उनपर एक पत्थर मारा और उसकी चोट से बहते रक्त की बूंदे से तालाब का सारा पानी रक्त में बदल गया यह देखकर संत शबरी को बुरा भला कहकर चिल्लाने लगा.
ऋषि ने बहुत जतन किए लेकिन वो तालाब में भरे रक्त को जल नहीं बना पाया. उसने उस में गंगा, यमुना सभी पवित्र नदियों का जल डाला लेकिन रक्त जल में नहीं बदला. कई वर्षों बाद जब भगवान श्री राम #सीता_हरण के बाद उनकी खोज में वहां आए तब वहां के लोगों ने भगवान राम को बुलाया और आग्रह किया कि अपने चरणों के स्पर्ष से इस तालाब के रक्त को पुनः जल में बदल दें. भगवान रामजी ने भी ट्राई किया लेकिन कुछ हुआ नहीं..
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तब उन्होंने गांव वाले से इसका इतिहास जानने की कोशिश की. गांव वाले ने सारी कहानी बता दी शबरी के बारे में कि #सबरी नामक अछूत के कारण इस तालाब का जल रक्त में बदल गया है . भगवान श्री राम दुखी होकर कहते हैं " यह रक्त उस सबरी का नहीं मेरे हृदय का है जिसे तुमने अपने शब्दों से घायल किया..." और तब देवी सबरी से मिलने की आग्रह करते हैं...
लेकिन #भीमट, #लालसलाम और न जाने कौन कौन जो #रोमिलाथापर और #इरफ़ानहबीब जैसे इतिहासकारों को पढ़कर वही सत्य मान बैठे हैं, जो संस्कृत के स से भी अपरिचित रहे हैं वो #भारत_का_वैदिक_इतिहास बताते हैं ... छूत -अछूत के नाम पर ब्राह्मणों को गरिया रहे हैं... आप बोलें या न बोलें ये ही #असामाजिक_तत्व हैं... 😜
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