चाँदनी की पाँच परतें
क्या कहूँ , कैसे कहूँ..... कितनी जरा सी बात है । चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है । ****** #कविता : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ********...
क्या कहूँ , कैसे कहूँ..... कितनी जरा सी बात है । चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है । ****** #कविता : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ********...
किताबें सभ्यता की वाहक हैं। किताबों के बिना इतिहास मौन है, साहित्य गूंगा हैं, विज्ञान अपंग हैं, विचार और अटकलें स्थिर है। ये परिवर्तन का इंज...