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इन्टरनेट के जन्मदाता टीम बर्नर्स ली ने किया चौकाने वाला ऐलान

सभ्यता के विकास के क्रम में कई नामचीन अविष्कारों ने क्रांतिकारी पहल कर हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन किये और हमारी रोजमर्रे की जिंदगी को और भी सुगम और आसान बना दिया. इसी क्रम में 90 के दशक में टीम बर्नर्स ली द्वारा  WWW की शुरुववात की गयी.  जी हाँ, आपने सही समझा, ये www वही है जिसे आप इन्टरनेट के नामे से जानते हैं . WWW का पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web ) है. यह वही वेब है जिसके माध्यम से आप इस आर्टिकल को पढ़ पा रहे हैं, यूट्यूब पर गाने देख रहे हैं, वाट्सएप्प पर रियल टाइम चैट कर पा रहे हैं, स्काइप या आइमो पर वीडियो कालिंग कर रहे हैं  इत्यादि .


The Father of Internet or WWW Tim Berners Lee announced radical change SOLID in web technology
लेकिन आखिर हुआ, की इतने पॉपुलैरिटी और लोगों को सुविधाए देने के बाद भी, इन्टरनेट के पिता टीम बर्नर्स ली को इतना सख्त कदम  उठाना पड़ा. बात दरअसल यह है हरेक व्यवसाय की भांति की तरह तकनिकी क्षेत्र, खासकर कंप्यूटर क्षेत्र में भी कालाबाजारी  शुरू हो चुकी है. हम सब कुछ समय पहले भारत और कई देशों में चले ताबड़तोड़ मुहीम 'नेट न्युट्रालिटी' से वाकिफ हैं जो नेट के मनमाने उपयोग के खिलाफ थी और इसमें पारदर्शिता व स्वच्छंदता बनाने की अपील थी. ठीक उसी प्रकार, इस बार बड़े सख्त नियमो के साथ www को बचाने की है. मतलब की इसकी स्वच्छंदता, पारदर्शिता , गोपनीयता, सुरक्षा आदि  जैसे  मामले  शामिल हैं.


बात दरअसल पिछले यूएस के राष्ट्रपति चुनाव के बाद की है जिसमे फेसबुक द्वारा डाटा लीक का मामला सामने आया था जिसे लेकर फेसबुक के मालिक मार्क ज़कर्बर्ग ने खुलेआम माफ़ी भी मांगी थी. अगर आप इनफार्मेशन टेक्नोलोजी से किसी भी माध्यम से जुड़े हैं तो आप जानते है की पूरी दुनिया डाटा संग्रहण करने की दौड़ में है. आनेवाले भविष्य में जिसके पास जितना डाटा होगा वह सर्वोपरी होगा. इसीलिए हरेक छोटी  बड़ी कंपनिया का सीधा मतलब आपसे आपके डाटा को लेकर है. तभी तो आपने देखा होगा पेटीएम, गूगल, फेसबुक या और भी कई एप्लीकेशन अपने मोबाइल में इंस्टाल करतने समय वह सब आपसे एक्सेस करने के लिए एक एककर आपसे पूछती हैं, अर्थात आपसे आपके मोबाइल के अन्दर के चाहे आपके कांटेक्ट नंबर हो या आपके फोटोज या अन्य कुछ भी अक्सेस करने के लिए आपसे परमिशन लेती है .
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यहाँ तक कई एप्लीकेशन तो आपके आधार कार्ड, वोटर आईकार्ड, पैन कार्ड इत्यादि भी मांग लेती है जैसे पेटीएम. जो की आपकी निजता  के खिलाफ  है . वैसे सरकार ने इन महत्वपूर्ण जानकारी न मांगने के लिए अब पहल भी की हैं पर कुछ कंपनिया अभी भी प्रीमियम सुविधाएं देने के लिए इसका मांग करती हैं. पर अगर गाहे-बझाए मजबूरी वश आपने अपना डाटा शेयर कर भी दिया तो उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसकी बनती है ? सच मायने में जिसके साथ आपने अपना डाटा शेयर किया. पर क्या वो कम्पनी शेयर किये गए डाटा की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेती है या नहीं? अगर नहीं तो ये SOLID मुहीम उसके खिलफ है.

SOLID क्या है ?




What is Solid in Computer Science ?

SOLID का फुलफॉर्म है Social Linked Data. यह एक वेब डीसेंट्रलाजड प्रोजेक्ट है  जिसे टीम बर्नर्स ली का नेतृत्व मिला है. यह प्रोजेक्ट  Massachusetts Institute of Technology (MIT) द्वारा चलाया जा रहा है . यह प्रोजेक्ट 'मौजूदा दर में चल रहे वेब एप्लीकेशन की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाने की तयारी में है जिसके तहत आपके डाटा की मालकियत व इसके सुरक्षा' को लेकर है. इस मुहीम के तहत अपने डाटा के मालिक आप हैं और आप ही रहेंगे. आज जिस प्रकार आपके निजी डाटा उपयोग कम्पनियाँ कर रही है इसके आने के बाद यह आपके कण्ट्रोल में होगा की किस तरह आप अपने लिंक्ड डाटा जो दुसरे एप्लीकेशन के साथ शेयर की गयी है, का उपयोग किया जाय जो आज नहीं है . 

बिशेष जानकारी के लिए आप इस लिंक को पढ़ सकते हैं

SOLID :  https://solid.mit.edu/   

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