बेकार, कामचोर व निकम्मा मंत्रालयों में से एक 'मिनिस्ट्री ऑफ वाटर रिसोर्स' (जल संसाधन मंत्रालय) के अंतर्गत 'नमामि गंगे' परियोजना है जो 2015 में बीस हजार (₹20000) करोड़ के बजट से शुरुवात की गई। इन 2 सालों में गंगा का कितना काया पलट हुआ प्रत्यक्ष रूप से हमारे सामने है। मुझे लगता है जितना पिछली सरकार अपने दस वर्षोँ में नही खाई, बीजेपी ने 2 साल में उससे ज्यादा खाया है।
उमा भारती जैसे ढोंगी साध्वी ने भारत की जीवनदायनी गंगा का कह-कहकर बलात्कार किया। बेशक ये लोग 'मुँह में राम बगल में छुरी' जैसे मुहावरे को चरितार्थ करते हैं। और अब जब लोकसभा चुनाव सामने है तो इनका मंत्रालय एक और खाऊ गडकरी को दिया गया है। गडकरी ने 3 साल में सड़कों का कितना विकास किया जो इनकी कार्य कुशलता को देख इन्हें एक और मंत्रालय दिया गया है? ये सारी चीजें एक निकम्मी सरकार की निशानी है। कागज पर काम नही होता साब, कल्पनाओं के अथाह समंदर में गोते लगाते केवल ओर केवल चित्र बनाये जा सकते हैं। बात छोटी सी है कि अगर बीजेपी सरकार चलाने में अक्षम है तो अपने आप को सरेंडर कर दे। कॉपी पेस्ट करना नकल कहलाता है सोच की समृद्धि नहीं। यह सरकार अंधी,बहरी तो है ही ऊपर से इनका दिमाग लकवा ग्रस्त है। पिछली सरकार गूंगी थी और आज की बोलने लगी है पर यह इनका थोथापन है लेकिन हकीकत में यह बांझपन का शिकार है।
उमा भारती जैसे ढोंगी साध्वी ने भारत की जीवनदायनी गंगा का कह-कहकर बलात्कार किया। बेशक ये लोग 'मुँह में राम बगल में छुरी' जैसे मुहावरे को चरितार्थ करते हैं। और अब जब लोकसभा चुनाव सामने है तो इनका मंत्रालय एक और खाऊ गडकरी को दिया गया है। गडकरी ने 3 साल में सड़कों का कितना विकास किया जो इनकी कार्य कुशलता को देख इन्हें एक और मंत्रालय दिया गया है? ये सारी चीजें एक निकम्मी सरकार की निशानी है। कागज पर काम नही होता साब, कल्पनाओं के अथाह समंदर में गोते लगाते केवल ओर केवल चित्र बनाये जा सकते हैं। बात छोटी सी है कि अगर बीजेपी सरकार चलाने में अक्षम है तो अपने आप को सरेंडर कर दे। कॉपी पेस्ट करना नकल कहलाता है सोच की समृद्धि नहीं। यह सरकार अंधी,बहरी तो है ही ऊपर से इनका दिमाग लकवा ग्रस्त है। पिछली सरकार गूंगी थी और आज की बोलने लगी है पर यह इनका थोथापन है लेकिन हकीकत में यह बांझपन का शिकार है।
नहर जोड़ो परियोजना में कितने नहरों को जोड़ा गया ,कितने खेतों तक पानी पहुचाया गया कितने डैम बनाये गए क्या किसी ने सवाल किया ?नहीं। हमारे सामने हमारे भविष्य का रोज़ बलात्कार हो रहा है और हम मौनी बाबा बने बैठे हैं।
सरकार आधारभूत चीजों की अनदेखी कर रही और हम भी मज़े से देखते जा रहे है। क्या तुम्हें याद नही कि यह जंगल,जमीन ,हवा ,पानी पर तुम्हारा हक है और तुम्हें तुम्हारे हक से ही बेदखल किया जा रहा है। तुम्हारे खून पसीने से उपजाया गया धान तुम्ही दो के चार भाव मे ख़रीद रहे हो। क्या तुम सचमुच सबकुछ भूल गए हो? शर्म आती है तुम्हारी नपुंसकता देखकर । मौन होकर व्हाट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक चलाने से तुम ज्ञानी नही लेकिन तमहरे खून में पानी ज़रूर भर गया है। उठाओ मशाल और जला डालो अपने वर्तमान और भविष्य के अंधकार को। तभी तुम्हारी मुक्ति संभव है।।
सरकार आधारभूत चीजों की अनदेखी कर रही और हम भी मज़े से देखते जा रहे है। क्या तुम्हें याद नही कि यह जंगल,जमीन ,हवा ,पानी पर तुम्हारा हक है और तुम्हें तुम्हारे हक से ही बेदखल किया जा रहा है। तुम्हारे खून पसीने से उपजाया गया धान तुम्ही दो के चार भाव मे ख़रीद रहे हो। क्या तुम सचमुच सबकुछ भूल गए हो? शर्म आती है तुम्हारी नपुंसकता देखकर । मौन होकर व्हाट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक चलाने से तुम ज्ञानी नही लेकिन तमहरे खून में पानी ज़रूर भर गया है। उठाओ मशाल और जला डालो अपने वर्तमान और भविष्य के अंधकार को। तभी तुम्हारी मुक्ति संभव है।।
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