"रामहि केवल प्रेमु पिआरा! जानि लेऊ जो जान निहारा!!"
( रामचरितमानस )
तुलसीबाबा कहते हैं- रामजी को केवल प्रेम पसंद है, जो जानने वाला हो, जो जानना चाहते हो वह जान ले। मन मे निश्चल प्रेम नहीं है तो राम को न हम प्राप्त होंगे और न ही राम हमको... हमें अगर राम को प्राप्त करना है तो प्रेम को आधार बनाना होगा ...
बजरंगबली की प्रेम-भक्ति ही उन्हें राम के निकट लाई। हृदय में प्रेम के सिवा कुछ भी नहीं था। दिल चीर के देख तेरा ही नाम होगा ..
लेकिन बजरंग-दल वालों के दिल में ज़रा भी प्रेम नहीं है.. दिल पत्थर का है..नारी से दूर भागता कोई सिद्ध है..ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं .. जाते तो ये भी हैं बागों में उसी जीवन की तलाश में ..पर बेचारे के Life में पहिला लेटर L सच में बड़ा है ..थोड़ा तरस खाओ उनपर भी ..प्रेम में राम नाम सत्य है
इसका सबसे बड़ा कारण है कि अभी भी भारत का सेस्क-रेसियो बैलेंस्ड नहीं है. 2011 में हुए सर्वे के अनुसार भारत में male/female का sex ratio 1000/940 है. अगर हम इन हनुमान जी के भगतों के हाथों में लाठी की जगह सब्जी का झोला देखना चाहते हैं तो " बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ " !!
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