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सृजन घोटाला , भागलपुर बिहार

आमतौर पर शांत रहने वाला और जर्दालू आम के लिए मशहूर भागलपुर कभी कभी भयंकर घटनाओं का सामना करता रहता है. अस्सी के शुरुआती दौर में पुलिस ने कई कैदियों की आंखो में तेजाब डालकर अंधा बना दिया था. फिर उसी दशक के अंत में प्रशासन की कमजोरी व मिलीभगत से कम से कम 1000 लोग मजहबी हिंसा मे हलाक हुए. दुर्भाग्य से अब भागलपुर में घटित सरकारी खजाने की लूट में भी प्रशासन की सक्रिय भूमिका सामने आ रहा है.अब एक बार फिर सरकारी खजाने की लूट, जिसे सृजन घोटाला का नाम दिया गया है , वैसे अभीतक की जांच पड़ताल से इसमें सुनियोजित तरीके से 1000 करोड़ रुपये की बंदरबांट हुई। आखिर कैसे ?

हमने मंगल की सैर तो कर ली पर हमारा दिमाग बांझपन का शिकार है। जरा सोचिए, क्या हम सच मे दिमागी बुखार से ग्रसित हैं? दरअसल हम बिना सोचे समझे किसी को को भी छोटे मोटे काम से चंद मिनटों में हितकर और नायक बना लेते हैं। हमारा यही भोलापन हमारे लिए त्रासदी बन जाता है। ऐसी व्यवस्था बदलती नहीं , बदलनी पड़ती है। हमे अपनी सोच उन्नत करनी पड़ेगी तभी हमारा उनवान होगा। लिलार पर लिखा लेख अकसर तार्किक सोच और निष्ठावान कर्मों से ही बदलता है। आज जो समाजसेवी का टीका लगाए फिर रहे हैं वही असली भस्मासुर का पोता है। आज नही तो कल आपको समझना पड़ेगा।।

साधारणतया सरकार और सरकारी तंत्र द्वारा जो सुविधाएं आपको उपलब्ध है वह आपका अधिकार है और जो नहीं मिला उसकेे आप हकदार हैं। इसी बीच यह बात भी समझनी चाहिए कि जो आपको अपना हक दिलाने में मदद कर रहा है वह एकमात्र बिचौलिया है जिसे अपने परिवार का पेट भरना है ना कि आपका। और एक आप हैं की जब आपका काम बन जाता है तो आप उसे भगवान की तरजीह दी बैठते हैं। अमूमन दिक्कत आप मे है क्योंकि आप अपने कर्तव्य और अधिकार दोनों खो बैठे हैं आलसपन के चक्कर में। आप जागना नहीं चाहते, आप आराम चाहते मानव हैं। याद रखिये आपका आलस्य ही आपका सबसे बड़ा शत्रु है। पर सबकुछ बदल सकता है केवल आपके चाहने मात्र से। उठिए, जागिये और अपने अधिकार के लिए क्रांति का आगाज़ कीजिये। अपने विश्वास के साथ कहता हूँ कि आपकी क्रांति पूर्णतया रंग लाएगी।
इसलिए  उठो, जागो और आगे बढ़ो।

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