
इस्लाम का शाब्दिक अर्थ 'शांति' है। मोहम्मद ने कृष्ण के तरह ही समाज की कुरीतियों के दमन के लिए तलवार का सहारा लिया। तलवार जब दयावान के हाथों में हो तो हिंसा नहीं होती सिर्फ अन्याय व अत्याचार का खात्मा होता है, एक सुदृढ़ समाज का निर्माण होता है। मोहम्मद के ह्रदय में करुणा थी। लेकिन उन्हें कहाँ पता था कि उनके पीछे चलनेवाले हुण और तुर्क इतने बर्बर, हिंसक और रक्त पिपासु होंगे। इतिहास में पहली बार धर्म की आड़ में तलवार की नोक पर राज्य के विस्तार का चलन शुरू हुआ। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। हकीकत यह है कि मोहम्मद को माननेवाले ही उनको समझ नहीं पाए। आज विश्व का एक शांति प्रिय धर्म अशांति की राहें पकडे हुआ है। हे पैगम्बर ! आज आपकी ज़रूरत फिर आन पड़ी है। हो सके तो लौटकर आना। इस बार अपना तलवार किसी नेक को देना। शांति सन्देश देने के बजाय शांत बनाना। हमें अपना प्यार देकर और भी प्यारा बनाना।
No comments:
Post a Comment