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आत्मविश्वास

मुझे नहीं मालूम पर क्या आपको तनिक भी पता है की भारत की राजनीति किस ओर जा रही है, कौन ले जा रहा है, आख़िरकार मकसद क्या है, आदि ऐसे कई सवाल गूंजते है जब आप खली बैठते है | दिन-भर खून-पसीना बहाकर, अहर्निश परिश्रम कर जब शुकून की आशा लिए घर आते है तो ऐसे कई सवाल जेहन में कौंधने लगते है | बौखलाहट होती है | मन विछिन्न हो जाता जाता है.| दिल टूटने लगता है |सांसे अटकने लगती है | शरीर शिथिल हो जाता है |
                        अब मैं आपसे पूछता हूँ की आख़िरकार इस मर्ज़ की दवा क्या है | क्या शिथिलता, चिंता, शोक इसकी नीव को छू सकती है | मेरे विचार से नहीं | लेकिन इसकी जड़े हिल सकती है, कंप-कंपा सकती है इसकी मोटे पेड़ की टहनियां,  झर-झरा सकती है इसकी हरी पत्तिया  सिर्फ और सिर्फ आपके पागलपन से ,हाँ केवल पागलपन |
                                          ये पागलपन कुछ ओर नहीं आपके ही कल्पना के 'पर' है | आपके अन्तःकिरण से निकले विचार है | और इन्ही विचारो में कुछ करने की जज्बा है, जग जीतने का साहस है, खुद से दो-चार करने का हौसला है ; क्योंकि इस विचार में दूसरों की खुशियाँ  शामिल है | और जब आपके विचार में मदद की खुशबू आती है तो वह विचार स्वच्छंद होता है,  निडर होता है, आनंदमयी और द्रिढ़ होता है | और विचारों की दृढ़ता ही ' आत्मविश्वास ' है | और  आत्मविश्वास ही हमारी सबसे बड़ी  पूँजी है | 
                                  इसलिए हे ! हमारे नवयुवको ये समय क्रांति का है | अपने आपको परखने का है, कुछ करने का है | इसलिए जागो और बिगुल फूंको क्रांति का | तुम्हारे इस आवाज़ के साथ  कितनी आवाज़े चिंगारी बनकर आयेगी | तुम्हें खुद पता नहीं है | आगे बढ़ो कारवां खुद बनेगी | आवाज़ .. सिर्फ..एक आवाज़  .. देश कब से इंतज़ार कर रहा है तुम्हारे आह्वान का ...  





   Yours
Chandan Gunjan 

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