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चाँदनी की पाँच परतें

क्या कहूँ , कैसे कहूँ..... कितनी जरा सी बात है । 
चाँदनी की पाँच परतें,  हर परत अज्ञात है । 

****** #कविता : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ********

चाँदनी की पाँच परतें, 
हर परत अज्ञात है । 


एक जल में, 
एक थल में, 
एक नीलाकाश में । 
एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती, 
एक मेरे बन रहे विश्वास में । 

क्या कहूँ , कैसे कहूँ..... 
कितनी जरा सी बात है । 
चाँदनी की पाँच परतें, 
हर परत अज्ञात है । 

www.thecynicalmind.blogspot.com

एक जो मैं आज हूँ , 
एक जो मैं हो न पाया, 
एक जो मैं हो न पाऊँगा कभी भी, 
एक जो होने नहीं दोगी मुझे तुम, 
एक जिसकी है हमारे बीच यह अभिशप्त छाया । 

क्यों सहूँ ,कब तक सहूँ.... 
कितना कठिन आघात है । 
चाँदनी की पाँच परतें, 
हर परत अज्ञात है ।।

#सर्वेश्वर_दयाल_सक्सेना

#TheCynicalMind #HindiPoetry 

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