किताबें सभ्यता की वाहक हैं। किताबों के बिना इतिहास मौन है, साहित्य गूंगा हैं, विज्ञान अपंग हैं, विचार और अटकलें स्थिर है। ये परिवर्तन का इंजन हैं, विश्व की खिड़कियां हैं, समय के समुद्र में खड़ा प्रकाशस्तंभ हैं।"
- बारबरा डब्ल्यू तुचमन
तो वहीं जोसेफ एडिसन का मानना है कि , " पुस्तकें वह विरासत हैं जो मानव जाति के लिए एक महान प्रतिभा छोड़ती हैं, जो पीढ़ी से पीढ़ी तक उन लोगों तक पहुंचाई जाती हैं, जो अभी तक जन्मे नही हैं।"
भारतीय सभ्यता संस्कृति से हम भले ही अनजान बने रहे लेकिन दुनिया भारत को जानती है , पढ़ती है, मनन करती है।
हमारे लोभ और गंदी राजनीति की अंधी दौड़ ने सबसे अगर किसी चीज़ को ज़्यादा प्रभावित किया है तो वह "भारतीय सभ्यता-संस्कृति" ।
संविधान के पहले प्रति में भी "श्री राम" अंकित हैं लेकिन ममता सरकार को यह नहीं दिखता। क्योंकि ,पश्चिम बंगाल में, छठी कक्षा की पाठ्य पुस्तक कहती है कि राम एक विदेशी थे, जिन्होंने भारत पर आक्रमण किया ..
और अंग्रेजी शब्द Roaming की उत्पत्ति Rama से हुई है तथा इसका मूल भारतीय राक्षस है।
पता है क्यों?
क्योंकि पाठ्यक्रम की संपादक #ShirinMasud हैं, जिसने क्रांतिकारी #खुदीरामबोस को भी आतंकवादी कहा था।
ये आश्चर्य की बात नहीं है इतिहास में जाएं तो 1193 में #बख्तियार खिलजी ने नालन्दा विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी को जलाकर भारत के मज़बूत पुरातन इतिहास को नष्ट करने का प्रयास किया...
अंग्रेजो ने भारत पर गुलामी के क्रम में सबसे पहले भारत की शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार किया ...
और आज़ादी के बाद कोंग्रेस सरकार ने स्कूलों में ऐसे पाठ्यक्रम को चलाया जो मुगलों व अन्य आतातायियों के गुणगान भरी पड़ी है ।।
आप NCERT को ही देख लीजिए। ऐसा क्यों किया गया इसका भी एजेंडा साफ नज़र आता है...जब आपकी नजर बाबूराव वाली होगी तभी साफ आसमान में बादल नज़र आएंगे ।।
विश्व मे भारतीय संस्कृति की अमिट छाप है जिसे सत्तानशीनो ने सिर्फ और सिर्फ बर्बाद करने का प्रयास किया है ।। हमे अपनी संस्कृति और पुराणों को बहुत गहरे अर्थों में समझना पड़ेगा ...इतने बिखराव हुए हैं कि सहेजना कठिन है पर मुश्किल नहीं ।।
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