काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ 9 दिन अनशन करने वाले बाबा रामदेव को आज यहां जॉली ग्रांट हिमालयन इंस्टीट्यूट अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। पर अनशन के चलते तबीयत बिगड़ने के बाद इसी अस्पताल में इलाज करा रहे मातृसदन के संत स्वामी निगमानंद अस्पताल से जीवित नहीं लौट सके। स्वामी के वरिष्ठ सहयोगी आरोप लगा रहे हैं कि उनकी स्वाभाविक मौत नहीं हुई, बल्कि उन्हें जहर देकर मार डाला गया।
34 वर्षीय संत स्वामी निगमानंद गंगा रक्षा की मांग को लेकर गत 19 फरवरी से मातृसदन में अनशन पर बैठे थे। अनशन के 68 वें दिन 27 अप्रैल को स्वामी निगमानंद की तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें दो मई को हिमालयन इंस्टीटयूट रेफर कर दिया। यहां भी स्थिति में सुधार नहीं आया और वे कोमा में चले गए। सोमवार रात दो बजे निगमानंद की मृत्यु हो गई।
मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि अस्पताल में निगमानंद को जहर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों के इशारे पर यह किया गया। उन्होंने स्वामी का पोस्टमॉर्टम स्थानीय डॉक्टर से कराने के बजाय एम्स के डॉक्टरों से कराने की मांग की है।
स्वामी निगमानंद के गुरु भाई स्वामी कौशलेंद्र ने भी स्वामी निगमानंद को जहर दिए जाने का आरोप लगाया।
तो भाइयो ये है हमारी सरकार और हमारी गाथा |गंगा जो प्राचीन काल से पावन रही है हमारी लिए | एक जो उसकी रक्षा के लिए अपनो जान की बाजी लगा बैठे और दूसरी तरफ एक भ्रष्ट राजनीति से प्रेरित बाबा रामदेव और अन्ना का आन्दोलन जो हमारी भावनाओ से लगातार खेलवाड़ कर रहा है हम उसी के गुणगान कर रहे है. इनके आन्दोलन एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रही है . और उसके शिकार हम हो रहे है. होते आ रहे है . और मेरे ख्याल से होते रहेंगे जबतक की हम अपने आप को बदल नहीं लेते.
हमे भारत को अपने घर के तरह के तरह चलाना पड़ेगा |हर समय अच्छे -बुरे का हिसाब रखना पड़ेगा. इसकी निगरानी करनी पड़ेगी. और ये सब पद और मिडिया के अटेंशन को दरकिनार कर करना पड़ेगा. और मुझे पूरा विश्वास है की जिसदिन हमारे अन्दर ये भावानाये पनपेगी हमारा घर फिर से सुन्दर और खुशहाल होगा. ....
" बात निकली है ,तो दूर तलक पहुचेगी " इसी विश्वास के साथ आज के लिए आपसे विदा लेता हु | फिर मिलेंगे ..ज़रूर ..
आपका
चन्दन कु० गुंजन
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